हाईकोर्ट आदेश के बाद सोसाइटी फॉर प्रेस क्लब चुनाव पर संकट ?

 


उज्जैन। सोसाइटी फॉर प्रेस क्लब के चुनाव की धांधलिया और गलत तरीके से कराए जा रहे हैं। चुनाव को लेकर वरिष्ठ पत्रकारों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी सोमवार को माननीय हाईकोर्ट द्वारा शाम 5:30 बजे अपना फैसला सुनाते हुए। प्रेस क्लब से बेदखल किए गए। वरिष्ठ पत्रकारों को दोबारा से प्रेस क्लब में सदस्यता शुल्क जमा कर पुनः सम्मान देने के साथ चुनाव में भागीदारी करने का भी आदेश सोसाइटी फॉर प्रेस क्लब के वर्तमान बॉडी को दिया है। आदेश को लेकर सभी वरिष्ठ पत्रकारों सहित मूल पत्रकारों में खुशी की लहर है। पत्रकारों का कहना है कि यह सत्य की असत्य पर बहुत बड़ी जीत है।


सोसाइटी फॉर प्रेस क्लब वरिष्ठ पत्रकारों को अपात्र घोषित करते हुए। प्रेस क्लब की सदस्यता से बेदखल कर दिया था। जिसे लेकर वरिष्ठ पत्रकारों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सोमवार को माननीय हाईकोर्ट मैं सुबह 10:30 बजे से शुरू हुई, बहस के बाद माननीय न्यायालय ने आदेश देते हुए। यह स्पष्ट कर दिया है, कि जिन वरिष्ठ पत्रकारों को अपात्र घोषित कर सदस्यता से बेदखल किया है। उन्हें सम्मान से वापस प्रेस क्लब की सदस्यता दी जाए साथ ही उन्हें चुनाव में भागीदारी करने का भी मौका दिया गया है। इन वरिष्ठ पत्रकारों के साथ उन पत्रकार साथियों की भी बहाली हो गई है, जिनकी फीस सोसाइटी फॉर प्रेसक्लब के चुनाव अधिकारी ने यह कहकर खारिज कर दी थी। कि समय बीत जाने के बाद फीस नहीं ली जाएगी। अब उन लोगों की भी दोबारा से सोसाइटी फार प्रेस क्लब में फीस जमा कर उन्हें बहाल कर दिया गया है। फर्म एंड सोसायटी के स्थगन को संज्ञान में लेते हुए। उच्च न्यायालय इंदौर ने दिएआदेश


22 वरिष्ठ पत्रकारों के साथ ऐसे पत्रकार जिनकी फीस जमा नहीं की गई थी और उन्हें सोसायटी फार प्रेस क्लब की सदस्यता से अपात्र घोषित कर दिया था। इसे लेकर दैनिक अवंतिका अखबार के संपादक और सिटी प्रेस क्लब अध्यक्ष की पहल पर फर्म एंड सोसायटी से स्थगन का आदेश लिया था। उसी आधार पर माननीय उच्च न्यायालय ने आदेश को संज्ञान में लेते हुए 22 वरिष्ठ पत्रकारों सहित थे। अन्य कारणों से अपात्र घोषित हुए पत्रकारों को बहाल करने के आदेश दिए साथ ही चुनाव में मतदान करने के साथ चुनाव लड़ने की पात्रता प्रदान की है।

 

माननीय हाईकोर्ट आदेश के बाद सोसाइटी फॉर प्रेस क्लब के चुनाव पर हो  सकता है संकट ?

कल मतदान से पहले चुनाव अधिकारी  श्री नायडू को हाईकोर्ट के आदेश को पढ़कर लेना होगा फैसला।

नए सिरे से चुनावी प्रक्रिया को करना होगा पूरा।

हाई कोर्ट का आदेश न मानने पर अनआवेदकों पर लग सकती है। न्यायालय के आदेश की अवहेलना का प्रकरण।

चुनाव प्रक्रिया से और सोसाइटी फॉर प्रेस क्लब की सदस्यता से निष्कासित किए गए सभी सदस्यों को मतदान सहित चुनावी प्रक्रिया में हिस्सा लेने का अधिकार भी मिला।