उज्जैन में प्लाज्मा थैरेपी से होगा कोरोना के मरीजों का इलाज


 आर डी गार्डी  मेडिकल कॉलेज में प्लाज्मा सेपरेटर  मशीन  का  पहली  डोनर  दीपा मोहन ने किया  शुभारंभ 

 

उज्जैन। कोरोनावायरस  संक्रमित  गंभीर  मरीजो का  अब देश के अन्य 60  चिन्हित चिकित्सालयों की तरह  आर.डी.गार्डी मेडिकल  कॉलेज में भी प्लाज्मा थेरेपी से उपचार किया जाएगा।  आर.डी.गार्डी  मेडिकल कॉलेज में आज प्लाज्मा थेरेपी के लिए लाई गई। सेपरेटर  मशीन का ब्लड बैंक में शुभारंभ किया गया। शुभारंभ फीता काटकर कोरोना पॉजिटिव से नेगेटिव हुई मरीज दीपा मोहन ने फीता काटकर उद्घाटन किया तथा प्लाज्मा डोनेट किया। इस अवसर पर संभागायुक्त आनंद कुमार शर्मा, कलेक्टर आशीष सिंह, नोडल अधिकारी सुजान सिंह रावत, डॉ सुधीर गवारिकर, डॉ आशीष पाठक, डॉ मंजू पुरोहित, डॉ आरती जुल्का, डॉ स्वाति पटेल ,डॉ पूजा शुक्ला, डॉ सुधाकर वैद्य सहित अन्य चिकित्सा मौजूद थे।

 

 जैसे ही प्लाज्मा थेरेपी मशीन का शुभारंभ  प्रथम डोनर सुश्री दीपा मोहन ने किया ब्लड बैंक में  मौजूद  अधिकारी, डॉक्टर्स एवं मीडिया के  लोगों ने तालियां बजाकर उनका अभिवादन किया। 

संभागायुक्त ने  इस अवसर पर कहा कि कोरोनावायरस से संक्रमित व्यक्ति के उपचार में आज उज्जैन जिले में एक नया आयाम जुड़ रहा है। प्लाज्मा थेरेपी उपचार ऐसे में गंभीर कोरोना पॉजिटिव  मरीजों को दिया जाएगा जो  ऑक्सीजन पर चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस उपचार के लिए अधिक सेे अधिक प्लाज्मा डोनेट करने की आवश्यकता है। प्लाज्मा डोनेशन रक्तदान जैसा ही है। प्लाज्मा डोनेट  वही   व्यक्ति  कर  सकते है जो कोरोना  से गंभीर संक्रमित थे और स्वस्थ होकर अपने घर चले गए हैं। 

कलेक्टर आशीष सिंह ने कहा कि जिले में अभी तक 46 ऐसे मरीज चिन्हित कर लिए गए हैं जो गंभीर रूप से बीमार थे और ठीक होकर अपने घर गए हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को प्लाज्मा डोनेट करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। प्लाज्मा डोनेशन एक प्रकार से  रक्तदान ही है। जिससे कि अन्य  कोरोना संक्रमित  मरीजो  की जान  बचाई  सकेंगी ।

प्लाज्मा डोनेट करने से घबराए नहीं 

4 घंटे में फिर से शरीर में बन जाता है

आर.डी.गार्डी  के विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ आशीष पाठक ने प्लाज्मा थेरेपी के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि आर.डी.गार्डी मेडिकल कॉलेज प्लाज्मा थेरेपी का ट्रायल सेंटर घोषित किया गया है। देश में इस तरह के कुल 61 केंद्र हैं, जहां पर प्लाज्मा थैरेपी दी जा रही है ।उन्होंने बताया कि प्लाज्मा डोनेट करना ब्लड डोनेट करने जैसा ही है इसमें कोई अंतर नहीं है तथा इससे डोनर को किसी तरह की कोई हानि नहीं होती है। डोनेशन के मात्र 4 घंटे के बाद ही शरीर में फिर से प्लाज्मा बन जाता है।उन्होंने बताया कि प्लाज्मा डोनेशन वही व्यक्ति कर सकता है जो गंभीर रूप से कोरोनावायरस से संक्रमित रहा है और उसमें इसके गंभीर लक्षण उभर कर सामने आए हैं। ऐसे मरीज के शरीर में कोरोनावायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज बनती है। एंटीबॉडीज संबंधित व्यक्ति के रक्त के प्लाज्मा में रहती है, जिसको अन्य संक्रमित व्यक्ति को देने से  कोरोना  का संक्रमण ठीक हो  जाता है। उन्होंने कहा कि प्लाज्मा डोनेशन के लिए आगे आने वाले व्यक्ति निश्चित रूप से पुण्य  का  कार्य  करते  हुए  अन्य लोगों को जीवन दान दे सकते है।